चला आजकल दोस्तों,एक नया व्यापार
खोल दुकानें धर्म की, होता कारोबार
होता कारोबार कि लागत ज़ीरो भैया
लोग छुएंगे पैर , बनोगे हीरो भैया
गली गली फिरते यहाँ, कितने नकली सन्त
चलें लक्ज़री कार में, पैसा हुआ अनन्त
पैसा हुआ अनन्त, किसी ने हमें बताया
बाबा जी ने ब्याज पे, कितना माल उठाया
गली गली वो बेचते, जीसस राम रहीम
हम को देते छाछ और, खुद खा जाते क्रीम
खुद खा जाते क्रीम,कि अब तो होश मे आओ
अरे दलालों धर्म के, कुछ तो शरम दिखाओ
गलती है अपनी यहाँ, इनकी क्या औकात
हम ही ईश्वर से नहीं, करते सीधी बात
करते सीधी बात, तो ऐसा हाल ना होता
सन्त माफिया का ये तगङा, जाल ना होता|
Friday, February 1, 2008
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