Wednesday, April 2, 2008

कलम तोङ शायर KALAM TOD SHAYAR

कलम तोङ लिख रहे शायरी, वाह रे भैया
लिख लिख भर दी खूब डायरी वाह रे भैया
कभी शेर के कान मरोङें, वाह रे भैया
नज़्मों की भी टांगे तोङें, वाह रे भैया
क्या है शायरी पता नहीं, लिखते जाते हैं
बङे भयानक शायर ये दिखते जाते हैं
ना दोहा ना छन्द रुबाई मुक्तक जानें
फिर भी इनको कवि यहां सब तगङा माने
ग़लत जो इनको कहे, खैर उसकी ना भैया
डुबो के छोङेंगे ये तो साहित्य की नैया
ऐसे कवियों के नज़दीक ना भूल के जाओ
है बन्दर के हाथ उस्तरा, प्रभू बचाओ
ओट शिखन्डी की लेकर वो लङ जाते हैं
भूल युद्ध के नियम, वो कुछ भी कर जाते हैं
अभी करेगी सेना उनकी ता ता थैया
कलम तोङ फिर होगी शायरी, वाह रे भैया|