कहते हैं इश्क़ तो बन्धन है जन्मों जन्मों का
एक दिन में सभी जनम वो निभा लेते हैं
नुमाइश कर के चन्द लमहों की
इस तरह जश्ने मुहब्बत वो मना लेते हैं
बेज़ुबाँ इश्क़ जो अन्धा भी है और पागल भी
ऐसे मासूम को कैसी ये सज़ा देते हैं
पाक सी चीज़ जो खुदा से मिलती जुलती थी
करके नापाक उसे सङकों पे ला देते हैं
महँगे तोहफों से तौल कर दिल को
प्यार की बोलियाँ वो खूब लगा लेते हैं
भूख और प्यास ना समझे जो नाम पर उसके
भूखी नज़रों से हरेक प्यास बुझा लेते हैं
इस तरहा जश्ने मुहब्बत वो मना लेते हैं.....
Tuesday, February 10, 2009
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