Friday, May 30, 2008

क्या कहिये KYA KAHIYE

कौन सा रिश्ता सच्चा है अब
किस रिश्ते को क्या कहिये
अपने ही जब ज़ख्म दे रहे
बेगानों को क्या कहिये
ना जाने क्या किया है हमने
किसी से कोई बैर नहीं
क़त्ल किया है हमको जिसने
यारों वो भी ग़ैर नहीं
झूठ की नैया तैर रही है
सच का माझी सोया है
हर रिश्ते ने ग़म के सागर
मे बस हमें डुबोया है
माला के मोतियों से बिखरे
अरमानों को क्या कहिये
अपने ही जब ज़ख्म दे रहे
बेगानों को क्या कहिये

क्रष्णमय KRISHNAMAY

जय क्रष्ण मुरारी, जन सुखकारी,
क्रपा करहु सुर भूपा
जय मंगलकारी, सब दुखहारी,
कष्ट हरो सुख रूपा
हे नाथ हमारे, कान्हा प्यारे,
रूप तुम्हार अनूपा
जो तुमको ध्यावैं, सब सुख पावैं,
सो ना परै भव कूपा|
भव सिन्धु अगाधा, चहुँ दिसि बाधा,
अब तो हम हैं डुबैया
हम तो हैं अनाथी, संग ना साथी,
तात मात नहिं भैया
हम निपट अभागे, डूबन लागे,
अब तो आओ खेवैया
जय बंसी बजैया, धेनु चरैया,
पार करो मेरी नैया