Sunday, May 18, 2014

एक्ज़ाम चालीसा


उड़े नींद सुख चैन सब, जीना हुआ हराम
काहे को बनवा दिये, प्रभु तुमने एक्ज़ाम
जय एक्ज़ाम महा दुखदायी-क्यों आ जाते हो हरजाई
हमने तुम्हरा कुछ ना बिगाड़ा- पर तुमने हमको ही पछाड़ा
टीचर भूत निसाचर लागे- एक्ज़ामनर राक्षस कहलावे
लगै प्रिन्सिपल का रुख ऐसा - ज्यों यमराज चलैं बिन भैंसा
रात रात जग करी पढाई - पर ससुरी कछु काम ना आई
पेपर देख दुखी मन गावे - यह पेपर सैटर मर जावै
खुद बीवी से पिट कर आया - पर हमरा ही बैन्ड बजाया
हुए सभी सब्जेक्ट बेवफ़ा - रात में घोटे सुबह सब सफ़ा
मन्दिर में परसाद चढ़ाया - लेकिन वो भी काम ना आया
ज़ालिम हुए फ़िज़िक्स केमिस्ट्री - दगा दे गयी ससुरी हिस्ट्री
जिसने भी काँमर्स बनाई - उसकी जम कर करू ठुकाई
साइन्स वाले तू भी आ जा - तेरा जल्दी उठे जनाजा
आर्ट साइड जिसने बनवाई - उसको पीटे रोज़ लुगाई
मैथ्स क्रियेटर हो जाये काना - ज्योग्रफ़ी का मर जाये नाना
जो काँपी किताब छपवाये - प्रभु उसका बिजनेस बिक जाये
घर के बाहर खिलती होली - अपने दिल पर चलती गोली
यार दोस्त सब मौज उड़ावैं - हम स्लेबस ले सर फ़ुड़वावैं
जबसे पेपर की रितु आई - गर्लफ़्रेन्ड भी नाहिं घुमाई
पढ़ो तो यार दोस्त सब छूटें - नाँहि पढ़ो तो बापू कूटें
बर्गर पीज़ा छूटत जावैं - मम्मा नित बदाम खिलावैं
कह दुष्यन्त टेस्ट सब छूटा - पेपर आये नसीबा फ़ूटा
भैया ने दुख ऐसा दीन्हा - मोबाइल भी हमरा छीना
छूटे आँर्कुट फ़ेस बुकाई - ऒफ़ लाइन अब रहते भाई
जो एक्ज़ाम चालीसा गावै - फ़र्स्ट क्लास नीचे से पावै
पढ़ने तक ही ठीक था, काहे बने एक्ज़ाम
ऐसे सिस्टम का प्रभु, कर दे काम तमाम