जय क्रष्ण मुरारी, जन सुखकारी,
क्रपा करहु सुर भूपा
जय मंगलकारी, सब दुखहारी,
कष्ट हरो सुख रूपा
हे नाथ हमारे, कान्हा प्यारे,
रूप तुम्हार अनूपा
जो तुमको ध्यावैं, सब सुख पावैं,
सो ना परै भव कूपा|
भव सिन्धु अगाधा, चहुँ दिसि बाधा,
अब तो हम हैं डुबैया
हम तो हैं अनाथी, संग ना साथी,
तात मात नहिं भैया
हम निपट अभागे, डूबन लागे,
अब तो आओ खेवैया
जय बंसी बजैया, धेनु चरैया,
पार करो मेरी नैया
Friday, May 30, 2008
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