एक बार हमने तपस्या की विकट
भगवान जी भी हो गये प्रकट
बोले... हम प्रसन्न हुए भइये
बोल.. तुझको क्या चहिये
हम बोले.. भगवान अंकल
हमे दिव्य द्रष्टि चहिये
भगवान जी बोले. ओ.के. डन ले भइये
पर ये ध्यान रखियो
ऐसा वरदान एक इन्सान नहीं झेल पायेगा
अबे पंगे औरों के होंगे
और बेटा तू जेल जायेगा
दिव्य द्रष्टि ले कर घर आया
बीवी को नदारद पाया,
दिव्य द्रष्टि घुमाई
बीवी पङोसी के संग नज़र आयी
कह रही थी कहाँ आप्-कहाँ वो
मुआँ दो पैसे कमा कर नहीं लाता है
कुछ मांगो तो तपस्या मे लग जाता है
मैने दिव्य द्रष्टि बन्द कर ली
पहले ही झटके ने बुद्धि हर ली
दूसरे दिन दफ्तर पहुँचा
लेकिन दफ्तर मे घुसने से पहले सोचा..
थोङी दिव्य द्रष्टि घुमा लूं
दफ्तर मे अपनी कितनी इज्जत है
पता लगा लूँ
दिव्य द्रष्टि घुमाई
इज्जत लुटती सी नज़र आयी
मेरा प्रिय चपरासी एक बाबू से कह रहा था
लंच होने को आया
और ये साला साहब का बच्चा
अभी तक ना आया
खुद तो ससुरा एक एक बजे तक आता है
और हम दस बजे भी आयें
तो हाजिरी पर क्रास लगाता है
यह देख कर क्रोध से हमारे नथुने फङक उठे
बिगङे हुए बैल से
हम पूरे भङक उठे
गुस्से मे हम घर जाकर सो गये
अपनी ही उधेङबुन मे खो गये
सुबह उठा तो सोचा
कि पङोसी का अखबार ले आऊँ
मुल्क के हाल चाल का पता लगाऊँ
पङोसी ने दरवाज़ा खोला
फौरन मेरा दिल बोला
ज़रा दिव्य द्रष्टि घुमा लूं
इसकी भी थाह पा लूं
दिव्य द्रष्टि घुमाई
असलियत नज़र आयी
पङोसी की बीवी कह रही थी
आ गया सवेरे सवेरे भिखमंगा
एक तो अखबार माँग कर ले जायेगा
ऊपर से फोकट की चाय भी उङायेगा
और प्रत्यक्ष मे आ कर बोली
ये लीजिये भाई साहब
आज का अखबार और
दो मिनट रुकिये प्लीज़
चाय भी है तैयार
मै चुपचाप घर चला आया
बीवी का संदेशा पाया
सुनते हो जी...
मेरी मम्मी की कुतिया खो गयी है
तीन दिन पहले लापता हो गयी है
ज़रा दिव्य द्रष्टि घुमा लो ना
मेरी मम्मी की बेटी समान
कुतिया कहाँ है..
बता दो ना....
मैने भी घरेलू कुत्ते की तरह दुम हिलायी
तत्काल दिव्य द्रष्टि घुमायी
कुतिया दूसरे मुहल्ले के कुत्तों के साथ घूमती नज़र आयी
मैने बीवी को बताया
डार्लिंग खबर निराली है
तुम्हारी माँ जल्दी ही
सास बनने वाली है
धीरे धीरे हमारी दिव्य द्रष्टि की चर्चा आम हो गयी
अमरीकी सरकार को पता चला
तो वो भी परेशान हो गयी
दो अमरीकी बात कर रहे थे..
इन्डिया ने दिव्य द्रष्टि नाम का ह्यूमेन सेटेलाइट बनाया है
अभी अभी न्यूज़ मे आया है
हम तो उसे किडनैप करायेंगे
चांद के पास लटकायेंगे हमने घबराकर दिव्य द्रष्टि का डायरेक्शन बदल दिया
एक पङोसी मुल्क की तरफ रुख किया
उधर तो इरादे और ही खतरनाक थे
बङे ही भयानक, बहुत ही नापाक थे
दो अतंकवादी आपस मे बात कर रहे थे..
हिन्दुस्तान मे एक आइटम आया है
शायद दिव्य द्रष्टि..
कुछ ऐसा नाम बताया है
बस अब उसे ही उठवाना है
अमरीका ने कहाँ कहाँ ऐटम बम्ब छुपा के रक्खे हैं
पता लगाना है
अब बस हम वही बम चुरायेंगे
सारी दुनियाँ को उङायेंगे
यह देख कर तो अपना भेजा खराब हो गया
दिव्य द्रष्टि का वरदान
ज़हरीली शराब हो गया
मै चिल्लाया
हे भगवान जी जल्दी आओ
दिव्य द्रष्टि वापस ले लो
मेरी जान बचाओ
भगवान जी भी तत्काल आये
मुस्कुराये
बोले आ गया ना लाइन पे
पहले नहीं माना
दो चार दिन झेल लिया
तब तूने जाना
अरे मुझे देख..
लाखों सालों से दिव्य द्रष्टि से सारी दुनियाँ को झेल रहा हूँ
फिर भी हँस खेल रहा हूँ
अरे इसी लिये तो मै भगवान हूँ
इसी लिये तो इतना महान हूँ
कहते कहते भगवान दिव्य द्रष्टि वापस ले कर अन्तर्ध्यान हो गये
और हम भी फिर से सामान्य इन्सान हो गये
इसी लिये मै कहता हूँ कि दोस्तों
यथार्थ मे जीना सीखो
ज़िन्दगी क्या है
यही अर्थ सीखो
ज्यादा गहराई में जाओगे
तो बस मेरी तरह ही
दिव्य द्रष्टि होते हुए भी
हमेशा पछताओगे
Sunday, December 30, 2007
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2 comments:
Vah
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