कौन है अच्छा कौन बुरा है,
इन बातों पे मत जाओ
सूना है घर बिना तुम्हारे,
साथी वापस आ जाओ
घर मे सबकी जगह बराबर,
ये घर सदा तुम्हारा है
तुमको वापस आना होगा,
अगर ये तुमको प्यारा है
इस जहाज़ के हम सब पंछी,
अपना यहीं बसेरा है
डर है कहीं तुम खो ना जाओ,
छाया घोर अन्धेरा है
मरघट सा छाया सन्नाटा,
अमन का ये पैग़ाम नही
बेमतलब जो हुई लङाई,
क्रान्ति भी उसका नाम नहीं
हम भी ज़िद्दी, तुम भी ज़िद्दी,
अब इस ज़िद पर मत जाओ
सूना है घर बिना तुम्हारे,
साथी वापस आ जाओ
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1 comment:
बहुत बढिया ....मनभावन रचना.आज पहली बार आपके ब्लौग पर आया हूँ.मजा आया आपकी रचनायें पढ कर
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