वो खेल गये खेल यूँ खेलों के खेल में
हमको दिखा के ख्वाब तरक्की के मुल्क की
वो खेल गये खेल यूँ खेलों के खेल में
मँहंगाई की जब मार से जनता थी रो रही
वो मोतियों के हार महल में पिरो रही
हम भी फ़से हुए थे दूध घी और तेल में
वो खेल गये खेल यूँ खेलों के खेल में
जनता की कमाई लुटी भूखा मरा किसान
ईमान के कदमों के भी अब मिट गये निशान
उलझा के हमें ज़िन्दगी की रेल पेल में
वो खेल गये खेल यूँ खेलों के खेल में
भूखे खिलाड़ी बैठे हैं मेडल की आस में
भारत का नाम ऊँचा उठाने की प्यास में
बेखौफ़ कत्ल उनके भी अरमानों का करके
वो खेल गये खेल यूँ खेलों के खेल में
मनमोहना मजबूरी की बंसी बजा रहा
और रास लीला कंस मस्त हो रचा रहा
बेची है राजधानी पूतना ने सेल में
वो खेल गये खेल यूँ खेलों के खेल में
शायद वो जानते नहीं हैं हश्र क्या होना
खानी हैं रोटियाँ ही ना चांदी नहीं सोना
पहुँचायेगी जनता उन्हें जल्दी ही जेल में
जो खेल गये खेल यूँ खेलों के खेल में
http://www.youtube.com/watch?v=wbR1d61x3PI
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5 comments:
http://www.youtube.com/watch?v=wbR1d61x3PI
और रास लीला कंस मस्त हो रचा रहा
बेची है राजधानी पूतना ने सेल में ।
क्या कस कस के लगाये हैं । बहुत बढिया व्यंग ।
utsah wardhan ke liye bahut bahut dhanyawad asha ji.
aapne gajab ka likha hai...
Aapko Badhai....
Jabardast hai
dhanyawad mitrawar
mera prayas yahi tha k satya ko ujagar karu.
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