Tuesday, September 28, 2010

श्री राम जन्म भूमि की कथा shri ram janm bhoomi ki katha

बात सैंकड़ों साल पुरानी है मै तुम्हें सुनाता हूँ
दशरथ नन्दन जन्म भूमि की कथा तुम्हें बतलाता हूँ
कल कल कलरव करती सरयू शान्त अवध में बहती थी
राम चरण रज कण पाने को पर व्याकुल सी रहती थी
माँ सरयू की इस पीड़ा को जब ब्रह्माण्ड ने जाना
तभी अयोध्या की धरती पर हुआ राम का आना
जन्मे खेले पले बढे़ और पुरुषोत्तम कहलाये
दे कर स्थायित्व धरा को वे निज धाम सिधाये
धरा के उस पावन टुकड़े को फ़िर था सबने सँवारा
राम जन्म भूमि कह कर के सबने उसे पुकारा
सुन्दर सा इक मन्दिर था वह लोग वहाँ पर जाते थे
राम लला के दर्शन करने दूर दूर से आते थे
लेकिन समय ने करवट बदली काला बादल छाया
बाबर नामक दुष्ट राक्षस हिन्द धरा पर आया
ढहा दिया उसने वह मन्दिर इक मस्जिद बनवाई
कालान्तर में वही बाबरी मस्जिद थी कहलाई
डरे डरे से सहमे हिन्दू भयाक्रान्त ही रहते थे
चुप रह मुग़ल शहंशाहों के अत्याचार को सहते थे
औरंगज़ेब निशाचर ने तो जजिया भी लगवाया
लेकिन हाय वो निर्बल हिन्दू फ़िर भी जाग ना पाया
सदियाँ लगीं बीतने फ़िर कुछ किरन आस की जागी
बरसों से सोते हिन्दू की सुप्तावस्था भागी
ढहा दिया फ़िर सबने मिलकर वह विवाद का ढांचा
बच्चा प्रसन्न होकर झूम झूम कर नाचा
मिली सफ़लता पर दुष्यन्त की बात हुई ना पूरी है
जब तक मन्दिर बन ना जाये, कविता मेरी अधूरी है

2 comments:

pradeep chandra said...

Mujhe aap ka lekh bauhat pasnad ayaa. agar hun hindu log ki jajbat ko hum nahi kahenge to kaun kahega.thanks
Jai shri Krishna, pradeep chandra sudama Bhagwat Acharya, Vrindaban,mob-09027591047,09219196874
Email: prdgos@gmail.com

dushyant kumar chaturvedi दुष्यन्त कुमार चतुर्वेदी said...

bahut bahut dhanyawad pradep ji
ye mere jeewan ki pratham kavita hai, jo maine 7 dec 1992 ko likhi thi.
is rachna se he maine likhna shuru kiya

jai jai shri radhe