रात शबनम को ले के आई है
तारों ने रौशनी बिछाई है
आसमाँ ने सजाया है आँगन
सुना है चाँद से मिलने को धरती आई है
सुना है चाँद से मिलने को धरती आई है
अमावस कट गयी जुदाई की
बात अब ना करो तनहाई की
झनझनाती सितार सी धड़कन
साँसों में भी तरानों सी मिठास लाई है
सुना है चाँद से मिलने को धरती आई है
बेला महका चमेली शर्माई
हर कली ले रही है अंगड़ाई
हवाएं चल रही हैं इठलाकर
धड़कनों ने ये खबर चुपके से फ़ैलाई है
सुना है चाँद से मिलने को धरती आई है
Thursday, June 23, 2011
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