Friday, March 28, 2008

जाने क्यूँ???

दिल मे कोई बात नहीं है
कोई भी जज़्बात नहीं है
इन्तज़ार की बात नहीं है
फिर भी तकता राह किसी की

ग़म का कोई नहीं अन्धेरा
नहीं खुशी का कोई सवेरा
ना अरमानों का कोई डेरा
फिर भी तकता राह किसी की

कोई फूल ना खिलने वाला
नहीं कोई भी मिलने वाला
जाम न साक़ी, खाली प्याला
फिर भी तकता राह किसी की

इक तरफा इक़रार है शायद
बिना कहे इज़हार है शायद
हुआ नहीं, पर प्यार है शायद
फिर भी तकता राह किसी की