Wednesday, February 3, 2010

ये इस्क नहीं आसान डियर

ये इस्क नहीं आसान डियर
तगड़े-तगड़े इसमें हैं फ़ियर
बहुतै टेन्सन करवावत है
बिन बात के ये पिटवावत है
कुछ अनुभव आज सुनाइब हम
डाइरेक्ट फ़िलिम दिखवाइब हम
इक दिन हम कालेज जात रहैं
कुछ मन ही मन मुसकात रहैं
मोटरसाइकिल कावासाकी
हम करत रहैं ताका झाँकी
इक सुन्दर कन्या ताड़ लिये
दोनो आँखें फ़ुल फ़ाड़ लिये
वो लट झटकावत आवत थी
चंचल नैना मटकावत थी
वो चपल चंचला सी बाला
बच्चन की थी फ़ुल मधुशाला
हम हू स्टाइल मार दिये
स्पीड की सीमा पार किये
स्टन्ट सभी हम झोंक दिये
खम्भे मा बाइक ठोंक दिये
वो कहाँ गयी ना जान पडे़
बस हम गोबर मा आन पडे़
टूटी हड्डी टूटे थे गियर
ये इस्क नहीं आसान डियर

1 comment:

www.navincchaturvedi.blogspot.com said...

सच में इश्क़ आसान नहीं है दुष्यंत भैया | ज़रा यहाँ भी नोज़ फरमाइए -

जिस दिन से ज़िंदगी से, हम हार कर बैठे |
उस दिन से ज़िंदगी से, हम प्यार कर बैठे ||

इक बार दिल लगाना, मुश्किल का काम है |
उफ़, ऐसी ग़लतियाँ, हम कई बार कर बैठे ||

कहती थी हमसे चाँदनी, मेरे करीब आ |
खुद्दार दीवाने थे, इनकार कर बैठे ||

गैरों को अब भी हमसे, है ऐतराज, और हम |
अपनों की ज़िंदगानी, दुश्वार कर बैठे ||