Sunday, December 2, 2007

भैंस चालीसा BHAINS CHALEESA

भैंस चालीसा
महामूर्ख दरबार में, लगा अनोखा केस
फसा हुआ है मामला, अक्ल बङी या भैंस
अक्ल बङी या भैंस, दलीलें बहुत सी आयीं
महामूर्ख दरबार की अब,देखो सुनवाई
मंगल भवन अमंगल हारी- भैंस सदा ही अकल पे भारी
भैंस मेरी जब चर आये चारा- पाँच सेर हम दूध निकारा
कोई अकल ना यह कर पावे- चारा खा कर दूध बनावे
अक्ल घास जब चरने जाये- हार जाय नर अति दुख पाये
भैंस का चारा लालू खायो- निज घरवारि सी.एम. बनवायो
तुमहू भैंस का चारा खाओ- बीवी को सी.एम. बनवाओ
मोटी अकल मन्दमति होई- मोटी भैंस दूध अति होई
अकल इश्क़ कर कर के रोये- भैंस का कोई बाँयफ्रेन्ड ना होये
अकल तो ले मोबाइल घूमे- एस.एम.एस. पा पा के झूमे
भैंस मेरी डायरेक्ट पुकारे- कबहूँ मिस्ड काल ना मारे
भैंस कभी सिगरेट ना पीती- भैंस बिना दारू के जीती
भैंस कभी ना पान चबाये - ना ही इसको ड्रग्स सुहाये
शक्तिशालिनी शाकाहारी- भैंस हमारी कितनी प्यारी
अकलमन्द को कोई ना जाने- भैंस को सारा जग पहचाने
जाकी अकल मे गोबर होये- सो इन्सान पटक सर रोये
मंगल भवन अमंगल हारी- भैंस का गोबर अकल पे भारी
भैंस मरे तो बनते जूते- अकल मरे तो पङते जूते
अकल को कोई देख ना पावे- भैंस दरस साक्षात दिखावे
अकल पढाई करन से आवे- भैंस कभी स्कूल ना जावे
भैंस के डाक्टर मौज उङावैं- अकल के डाक्टर काम ना पावैं
अकलमन्द जग से डरै,भैंस मस्त पगुराय
भैंस चलाये सींग तो, अकलमन्द भग जाय
मंगल भवन अमंगल हारी- भैंस कभी ना बकती गारी
भैंस कभी अतंक ना करती- भैंस मेरी भगवान से डरती
तासौं भैंस सदा मुसकावै- अकल लङे ओर अति दुख पावै
अकल तो एटम बम्ब बनाये- झटके मे संसार उङाये
भैंस दूध दे हमको पाले- बिना दूध हों चाय के लाले
अकल विभाजन देश का कीन्ही- पाक बांग्लादेश ये दीन्ही
भैंस अभी तक फर्क ना जाने- एक रूप में सबको माने
हिन्दू मुस्लिम सिक्ख ईसाई- भैंस सभी को दूध पिलायी
भैंस न कोइ इलैक्शन चाहे- भैंस ना कोइ सेलेक्शन चाहे
इसकी नज़र मे एक हैं सारे- मोटे पतले गोरे कारे
भेदभाव नहिं भैंस को भाया- भैंस मे ही जनतन्त्र समाया
भैंस ना कोई करै हवाला- भैंस करै ना कोइ घोटाला
पासपोर्ट ना वीजा पाती- जब चाहे विदेश हो आती
फिर भी स्मगलिंग ना करती- भैंस मेरी कानून से डरती
ता सौं भैंस हमें है प्यारी- मंगल भवन अमंगल हारी
अकल बेअकल जो मरै, अन्त सवारी भैंस
भैंस बङी है अकल से, फईनल हो गया केस

12 comments:

मनोहर लाल रत्नम said...

Vasatav Main Baise Chalisa Ki Bare Main Aapne Aati Sunder Likha Hai
Yeh Paheli Aur Adbhud Rachna Hai

Unknown said...

mosa ji hame to ye kavita bhhoot ache lagi plz keep it up ,best of luck for your future

Anonymous said...

यह पढनेके बाद हर एक भेंसका सन्मान करनेको जी करता है ... अदभूत रचनाके लिये अभिनंदन.

दिवाकर मणि said...

मान्यवर, क्या जान सकता हूं कि यह कविता आपकी है, या किसी और स्रोत से लिया है? कारण कि यह कविता बहुत सी जगहों पर मूल रूप में/थोड़े बदलाव के साथ मुझे प्रकाशित दिखी है।
कृपया मेरी इस शंका को स्पष्ट कर कृतार्थ करें।

दिवाकर मणि said...

महोदय,
मैंने पूर्व में आपको एक टिप्पणी लिखी थी, आपने ना तो उसे प्रकाशित किया और ना ही प्रत्युत्तर दिया। कृपया, मेरी शंका का समाधान करें। मैं यह प्रश्न क्यों पूछ रहा हूं, इसके लिए आप पवन कुमार जी का यह ब्लॉगपोस्ट और उसपर की टिप्पणियों को देखकर समझ सकते हैं। लिंक है- http://pawankumar83.blogspot.com/2010/05/blog-post_31.html

दिवाकर मणि said...

आपकी टिप्पणी और मेरे निरंतर विरोध के कारण भाई पवन ने इतना किया है कि अपने पोस्ट में नीचे लिख दिया है- "written by another poet......." लेकिन फिर भी महोदय ने नाम डालना उचित नहीं समझा। भोजपुरी मे इसे "थेथरई" कहा जाता है। और भी देखिए, आपके व मेरे विरोध वाली टिपाणियों को भाई ने अपनी पोस्ट से मिटा दिया। खैर कोई नहीं, आप पूरी बातों को विस्तार से यहां पढ़ सकते हैं-

विस्तार से जानने के लिए इन्दुपुरी गोस्वामी जी के इस बज्ज-लिंक पर जाएं (http://www.google.com/profiles/puri.indu4#buzz) और "अकबर के दरबार में 'नवरत्न' थे" नामक बज्ज पर आईं टिप्पणियों को आद्योपांत पढ़ें।

Pawan Kumar Sharma said...

dushyant ji, muje apni galti ka ahsaas kuch din pehle hi ho chuka tha, magar out of town hone k karan aapse kuch keh nahin paya, aapki kriti ko apna kehne k liye shama chahta hu, meri mansha aapko kasht pahunchane ki nahin thi, muje mail k dwara kisi mitr se aapki kavita mili or muje achi lagi, isliye maine isay apne blog par post kar liya, agar mere aisa karne se aapko dukh hua hai to main aapse shama mangta hu,

aasha hai k meri is bhool ko aap muje apna chota bhai samajh kar maaf kar denge.

Pawan Kumar Sharma said...

dushyant ji aapse shama maangne k saath saath maine aapki kavita ko bhi apne blog se hata diya hai

दिवाकर मणि said...

दुष्यन्त जी, सुबह से लेकर अब तक बहुत कुछ हो गया। लब्बोलुआब यह कि पवन ने पहले आपकी और मेरी टिप्पणियों को अपने पोस्ट से डिलीट किया, फिर अपनी पोस्ट को ही मिटा दिया। इस बीच क्या-क्या और कितना हुआ बताने हेतु काफी कुछ लिखना पड़ेगा। खैर, भाई साहब ने बज्ज से और अन्य जगहों से "मेरी रचना" का बिगुल हटा लिया है। इस सारे खेल की शुरुआत इन्दुपुरी जी के बज्ज से हुई, जहां खेल का थोड़ा-बहुत अंश अब भी आप देख सकते हैं। लिंक है- http://www.google.com/profiles/puri.indu4#buzz (अकबर के दरबार में 'नवरत्न' थे नामक बज्ज और उसपर की टिप्पणियां)

dushyant kumar chaturvedi दुष्यन्त कुमार चतुर्वेदी said...

thanks diwakar ji
indu ji k buzz link per maine apna jawab post kar diya hai.

Unknown said...

दुष्यंत(दोषी भैया)भैंस चालीसा पढ़ी अच्छी लगी ।

Kanu Butani said...

Hi Dushyant hi
Aapki chalisa padi
Achi Lagi
Maine bhi halhi mein ek chalisa likhi hai
Mata Pita Chalisa
Uski link hai:
http://butanikanu.blogspot.com/2014/04/mata-pita-chalisa-kanu-butani.html
i hope you willike it.