Sunday, December 2, 2007

काव्य स्रजन

कामना व्यथा बने
प्रेम बस कथा बने
भावना का ह्रास हो
टूटता विश्वास हो
प्रेम की चिता तले
हिय मे आग जब जले
जब भी टूट जाता मन
होता काव्य का स्रजन

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