Sunday, December 2, 2007

नालायक विध्यार्थी की सरस्वती वन्दना

माता शारदे भवानी, ऐसा वरदान दे दे,
हो जाये जुगाङ कुछ, हर इम्तेहान में
फेल हो गया बङी बेज्जती खराब होगी,
बैठना पङेगा मुझे, पान की दुकान मे
एसएसटी-कम्प्यूटर-जीके-मैथ-आर्ट-इंगलिश
हिन्दी-संस्क्रत-साइंस,कुछ नहीं आता है
शेक्सपियर, अकबर, न्यूटन तो मर गये,
स्कूल भूतों का डेरा नज़र आता है
ऐसा कर दे कमाल, आ जाये कोई भूचाल,
जिसमे केवल स्कूल गिर जाये माँ
ना कोई हताहत हो, ना किसी को चोट लगे,
आन्सरों की शीट, मलबे मे दब जाये माँ
यू नू मैया बैटर के, कितनी है टैंशन,
एक्ज़ामों मे छोरियाँ भी गायब हो जाती हैं
मैसेज ना भेजे कोइ, ना ही मिस्ड काल मारे,
फोन भी करो तो हाय फोन न उठाती हैं
मेरी प्रोबलम जैनुअन है माँ तू ही देख,
माँगता हूं तुझसे मै, यही मुझे वर दे
हर साल खेलूं होली चैन से सुकून से माँ,
अगले बरस से एक्ज़ाम बन्द कर दे

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