Sunday, December 2, 2007

मिडिल क्लास स्वीट होम

नील गगन की छाँव मे, नदी किनारे गाँव मे
हम इक घर बनवायेंगे, महलों सा सजवायेंगे
आकांक्षायें बङी-बङी थीं, जेब मगर छोटी सी थी
खर्च अधिक था,धन की कमी थी, बात यही मोटी सी थी
लोन लिया कुछ ज़ेवर बेचा, कुछ जुगाङ से जुटवाया
प्लाट के लायक यारों हमने, धन था इकट्ठा करवाया
पुरखों की कुछ ज़मीन बेची, पोजीशन भई निल यारों
लेकिन कान्स्ट्रक्शन के लायक, भी कर लिया जमा प्यारों
इक अच्छा सा मुहूर्त देखा, नीव का पूजन करवाया
अपने निजी प्लौट मे हमने, पहला पत्थर लगवाया
पहला पत्थर लगवाते ही, खर खर की आवाज़ हुई
कुछ ही क्षणों मे प्लौट के सम्मुख,अफसर जी की कार रुकी
अफसर जी फिर नीचे उतरे, हमने कैम्पा मंगवाया
ठंडा-ठंडा सर्व किया और, प्यार से उनको पिलवाया
पी कर कैम्पा वो गुर्राये, ये सब क्या करवाया है
इस कान्स्ट्रक्शन वर्क का तुमने नक्शा पास कराया है?
रोको इस निर्माण को फौरन, हम इसको तुङवायेंगे
या फिर सारे प्लौट को बन्धु, हम तो सील करायेंगे
हम बोले प्रभु ये ना करना, हम तो मारे जायेंगे
जो तुम थोङी क्रपा दिखा दो, तुम पर वारे जायेंगे
वे बोले यूँ क्रपा ना होती, `सेवा पानी` करवाओ
अपने प्लौट के पेपर ले कर, तुम मेरे दफ्तर आओ
दफ्तर जा कर सैटिंग कर ली, सौदा फाइनल करवाया
रुका हुआ जो काम था मेरा, मैने फिर से लगवाया
लेकिन काम लगाते ही, इक और थी विपदा आन पङी
जैसे पीछे पलट के देखा, पुलिस की जिप्सी द्वार खङी
जिप्सी से दो मामू उतरे, बोले काम को रुकवाओ
फौरन इस जिप्सी में बैठो,या फिर खुद थाने आओ
थाने जा कर सैटिंग कर के, फिर से काम लगाया था
नगर विकास विभाग का बन्दा, दूजे ही दिन आया था
बोला काम को रुकवा दो और्, मै फिर परसों आऊँगा
बात जो मेरी ना मानी तो, मै नोटिस भिजवाऊँगा
उससे भी फिर सैटिंग कर ली, अतिक्रमण वाले आये
आते ही यारों वो हम पर, चिल्लाये और गुर्राये
बोले ये क्या करवाया है, क्या हमको मरवाओगे
ईंटें पटरी पर रखवा कर, क्या सस्पेंड कराओगे
उनसे भी फिर सैटिंग कर ली, सङक पे मलबा पङवाया
रुका हुआ जो काम था मेरा, मैने फिर से लगवाया
जैसे-तैसे काम लगा फिर, लोग बाग कुछ और आये
लेकिन सैटिंग हो जाने पर, निज-निज दफ्तर को धाये
फिर भी यारों रो-धो कर के,कान्स्ट्रक्शन सम्पूर्ण हुआ
आसमान की छाँव मे घर का, सपना मेरा पूर्ण हुआ
लेकिन सपना पूरा करते-करते मै बेहाल हुआ
सब कुछ लगा दिया था उसमें, यारों मै कंगाल हुआ
फिर भी मैने हिम्मत कर के, ग्रह प्रवेश था करवाया
लेकिन घर में घुसते ही बस, हाउस टैक्स वाला आया
बोला प्लौट के पेपर लाओ,असेस्मेन्ट करवानी है
तेरे इस मकान की पुत्तर,नाप-जोख करवानी है
उससे सैटिंग कर ना पाया, जेब तो मेरी खाली थी
बेचन को अब एक चीज़ थी, वो मेरी घरवाली थी
हाथ जोङ कर मै बोला, अहसान भुला ना पाऊँगा
टैक्स सही लगवा देना, पर सेवा ना कर पाऊँगा
फिर कुछ दिन के बाद मेरे घर, इक लम्बा नोटिस आया
घर की क़ीमत से ज्यादा था, ग्रह-कर को मैने पाया
घर बेचा और टैक्स चुकाया, सङक पे झुग्गी पङवाई
चैन से जीवन वहीं पे बीता, शान्ति वहीं मैने पाई

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